मन बड़ा दुखाला जब छोट छोट बात प खून के रिश्ता के खून के आंस बहावत देखिला । कबो धन खातिर मान खातीर अपमान खातीर नावा के पावे बदे पुरान मजबुत रिश्ता के बंधन के ढिल होखत टूटत देखिना । कुछ अपवाद के छोड़ दिहल जाव त अधिकांश रिश्ता के फेड़ उहे हरियर बा जहँवा से कुछ मिलत होखे बा मिले के आस होखे । बाकी रिश्ता नाता त मुरझा रहल बा मसुवा रहल बा सोर जमीन छोड़हिं वाला बा हलुके हवा के जरूरत बा । जेके बोले सिखावल रहे उहे डपट के चुप करावे में लागल बा ।
हमनीके लोकसमाज जवना खूबी सँस्कार संस्कृति अउरी बिचारन खातीर सगरे बिश्व में गुरु आ राह देखावे वाला मानल जात रहे । आज काल पछीमा हावा में ना जाने इ गुन कंहवा उधीया गइल । खड़हर लउकता समाज सँस्कार भले आदमी चिकन चाकन आ निमने कमाता खाता ।
कोरोना महामारी के चलते जीनिगी भयभीत बिया लुकाये के मजबूर बिया घर के चारदीवारी में । जिनगी के जरूरत में भारी कमी आइल बा । धन सम्पति गौड़ आ रोटी कपड़ा जइसन मूलभूत जरूरत सबसे ऊपर बा । सँस्कृति के प्रकृति के जइसे नावा कवनो बूटी भेटा गइल होखे एह दुर्दिन में भी पोढ़ बरियार होखत दिखता । अदमी आपन दुख भुला के आपन आस पास के गरीब गुरबा आ चिरई चूरूग पोश परानी के बचावे खातीर सहायता के हाँथ बढावत लउकता । मानवता के एह रूप के नमन बा ।
आफत मुश्किल के चलत झंझावात में राम बड़ी इयाद आवतान । मानवता के जरूरत बा राम के रामत्व के । उहे राम जवन लोक के लोक से जोरलन मिलवन । नान्ह बड़ के देवार के तोड़के निषाद के गरे लगवलन । सबरी के पियार के आपन सर माथे लगवलन । उनकर ब्यक्तित्व एगो पुल रहे, पुल के रखवइया रहनी मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी । राम के नाँव, रूप, धाम, लीला, आचरण में जोड़े के एगो बरियार गुण रहे । उनकरा पुरा जीवन यात्रा में खुबे देखे के भेटाइल । चाहें उहाँ के राजसी ठाट बाट में होंखी भा जंगल झाड़ में कांट कुश पर चलत होंखी अपना सुभाव से सबके जोड़नी मिलवनी ठीक एगो पुल नीयन ।
दरकल, टूटल, छिटाइल, भहराइल, मेहराइल मन दिल दिमाग के पोढ़ बनावे खातीर जरूरत बा राम के चरित्र के आपन जीवन मे अपनावे के अनुशरण के । राम के आपन आदर्श मानेवाले आपन देश सीमा बढावे खातीर भा ब्यापार खातीर ना कबो लड़े ना लड़ावेला ना केहुके तोरेला ना तोरेवालन के वकालत करेला ।
परिस्थिति कवनो कटाह होखे मर्यादा के अँचरा कस के धइला रहला के काम बा । आज रामनवमी ह अवतरण दिवस ह रामजी के । आइ एगो उत्सव के रूप में मनाई जा जरूरी बा ई आपन सँस्कृति से नवका पीढ़ी के बतावे खातीर आपन अतीत पर गौरवान्वित होखे खातीर । राम अउरी रामत्व के आपन जीवन के मूलमन्त्र माने के जरूरत बा । समय बाउर भले बा अबहिं लेकिन डेरा के ना गा बजा के आपन शौक के पूरा क के एह समय के बितावल जाइ ।
परब तेवहार के श्रृंगार रामनवमी के खाँची भर बधाई अउरी शुभ कामना बा ।
अबहिं त सभे फुरसत में ही बा त आईं न सुबह 9-10 बजे अउरी साँझी के 9-10 दूरदर्शन पर रामायण रउरो देंखी अउरी नवकी पीढ़ी के त प्रेरित करी आ जरूर देखाई । आपन संस्कृति के चिन्हाई । रउवा त साँझी के दुवार पर रामायण पढलहिं बानी बाकी नवका पीढ़ी त नहिये पढले होंखी ओके देखाई ।
!!!जय श्री राम !!!
✍️तारकेश्वर राय “तारक'”
गुरूग्राम, हरियाणा